ध्यान सिर्फ आंख बंद करके बैठना नहीं हैं आपने बहुत सी विडियो देख कर साधना करने का भी मन बनाया होगा। अप्सरा साधना भी आपने करने की सोची होगी। पर समस्या एक ही आती हैं। ध्यान की ये है क्या और होता कैसे हैं। आइये जानते हैं। ध्यान की बारीकियों कों मन को किसी बिंदु ,व्यक्ति या किसी वस्तु पर एकाग्र करना और उसमे लीन हो जान ध्यान है. ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. वाह्य पूजा उपासना के प्रयोग के बाद जिस पद्धति से ईश्वर की उपलब्धि हो सकती है, वह ध्यान ही हो सकता है. केवल आंखें बंद करना ध्यान नहीं है, चक्रों पर ऊर्जा को संतुलित करना भी आवश्यक होता है. ध्यान एक प्रक्रिया है, जो कई चरणों के बाद हो पाता है. इन कई चरणों में पहले चक्रों को ठीक किया जाता है. ध्यान की सिद्धि के बाद व्यक्ति अनंत सत्ता का अनुभव कर पाता है, और इसे समाधि कहा जाता है. तमाम गुरुओं और आचार्यों ने ध्यान की अलग अलग विधियां बताई हैं, पर सबके उद्देश्य एक ही हैं - ईश्वर की अनुभूति । ध्यान के बिषय हर व्यक्ति का अलग अलग मत हैं। पर इसका मूल अर्थ है ं । आसन भाषा में बताऊँ तो ध्यान